ओम्कारेश्वर परियोजना से डूब प्रभावित ग्राम घोघलगांव के श्री रामचंद्र जी की स्थापना अब ग्राम इनपुन पुनर्वास स्थल पर


खण्डवा- गत 4 नवम्बर को ओम्कारेश्वर बांध को पूर्ण जलाशय स्तर 196.6 मीटर तक भर दिया गया है। इस कारण कई गांव टापु बन गये थे जिसमें ग्राम घोघलगांव, एखण्ड,सुकवा, देगावा और भी अन्य गांव प्रभावित शामिल हैं। इस जल भराव से कई मंदिर तो पूर्ण रूप से  डूब गए और कुछ में मंदिरों में रखी भगवानो की प्रतिमाओं को भी नही निकाला जा सका।
ग्राम घोघलगांव के श्री रामचंद्र जी के मंदिर की प्रतिमाये नही डूबी हैं  इस लिए इस मंदिर की मूर्तियों को इनपुन पुनर्वास स्थल पर पुनर्स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इस संदर्भ में आज मंदिर के पुजारी श्री गोपालपुरी जी व अन्य ग्राम वासियों ने विधि विधान से मूर्तियों को घोघलगांव मंदिर से निकाल कर नाँव से ग्राम कामनखेड़ा लाये और वहां से बाजे गाजे के साथ श्री रामजी, माता श्री सीताजी व भ्राता श्री लक्ष्मणजी व शिव पिंडी व श्री पार्वती जी व गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना के लिए वाहनों के माध्यम से इनपुन पुनर्वास स्थल ले गये। संपूर्ण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिला पुरुषों ने भाग लिया।


नर्मदा बचाओ आंदोलन के श्री आलोक अग्रवाल ने नये मंदिर के निर्माण के लिये बधाई व शुभकामनाएं देते हुए बताया कि इस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिये अनुविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में विस्थापितों के प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त समिति का निर्माण हो चुका है और इसी समिति की देखरेख में इनपुन पुनर्वास स्थल पर नये मंदिर का निर्माण होगा।



मंदिर की कुछ प्रमुख जानकारियां- यह मंदिर का निर्माण सन 1981 में ग्राम घोघलगांव के निवासी श्री शिवपुरी जी गोस्वामी ने अपने निजी पैसो से किया था।उस समय का यह मंदिर आस पास के 10 से 15 गांवो में बहुत बड़ा मंदिर था।यह मंदिर तीन हिस्सों में बना था पहले सब से नीचे तल घर था जोकि मंदिर में पुजा करने वाले पुजारी के रहने के लिए बनाया गया।फिर तल घर के ऊपर का हिस्सा जिसमे श्री रामजी, श्री सीताजी व श्री लक्ष्मण की प्रतिमाएं थी, व मंदिर का तीसरा ऊपर का हिस्सा जिसमे श्री शिव जी के रूप में (शिव पिंडी),श्री पार्वती मैयाजी,श्री गणेश जी ,व नंदीगण की प्रतिमाएं रखी थी। जिसमे श्री रामचंद्र जी की स्थापना 8 मई सन 1981 को हुई थी व श्री शिव मंदिर की स्थापना 9 मई सन 1981 को हुई थी।