निमाड़ी बोली में है अपनत्व की मिठास, खंडवा के साहित्यकारों ने निमाड़ी बोली पर हुए कार्यों के अंतर्गत अपने विचार साझा किए


खंडवा- निमाड़ी बोली में अपनत्व की मिठास है यही मिठास  निमाड़ी को  अन्य लोक भाषाओं  से पृथक स्थान  प्रदान  करती  है. ऐसे ही  कुछ विचार "स्व.पंडित राम नारायण उपाध्याय के निवास" साहित्य कुटिर' में शहर के प्रमुख रचनाकारों, साहित्यकारों ने व्यक्त किए। निमाड़ सांस्कृतिक न्यास के सचिव श्री हेमंत उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भोपाल के पत्रकार एवं सांस्कृतिक पत्रिका' रंग संस्कृति ' के संपादक श्री यतींद्र अत्रे को निमाड़ी लोक नाट्य का रचनात्मक अध्ययन एवं प्रस्तुतीकरण विषय पर फैलोशिप प्रदान की गई है। इसी संदर्भ में  वे निमाड़ी बोली  के अध्य्यन हेतु  महेश्वर खरगोन होते हुए  खंडवा पहुंचे। साहित्यकारों द्वारा क्षेत्रिय बोली निमाड़ी को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए जाने हेतु जोर दिया.



साथ ही  पद्मश्री से सम्मानित पंडित रामनारायण उपाध्याय द्वारा निमाड़ी बोली को लोक भाषा का दर्जा दिलाने के प्रयासों का भी उल्लेख किया। इस अवसर पर  जबलपुर के निमाड़ी साहित्यकार  श्री सुरेश कुशवाह ' तन्मय 'भोपाल के अशोक तारे के साथ शहर के  साहित्यकार सर्वश्री गोविंद शर्मा,98 वर्षीय श्रीमती सुभद्रा देवी उपाध्याय  श्री गोविंद शर्मा.  श्री अरुण सातले. जगदीश चौरे . शांता गीते. मंगला चौरे, शैलेंद्र शरण.सरोज सोहनी.  देवेंद्र जैन, श्रीमती साधना उपाध्या,.  सुनील चौरे उपमन्यु, अनिमेष उपाध्याय, कोठारी  सुरेन्द्र जैन, अंकित यायावर, संगता सूर्यवंशी आदि उपस्थित थे। यतीन्द्र अत्रे के आगमन पर हेमंत उपाध्याय ने विभिन्न माध्यमों से खुला आमंत्रण दिया था व सबकी जागरूकता उपस्थित के लिये आभार माना।