खंडवा - अभाविप का 52 वां प्रांतीय अधिवेशन दादाजी धुनि वाले की नगरी खण्डवा में 27 दिसम्बर को प्राम्भ हुआ, यह तीन दिवसीय अधिवेशन 29 दिसम्बर को समारोप कार्यक्रम से समाप्त होगा। इस अधिवेशन में मध्य भारत प्रान्त के 34 जिलों के गरीब 1200 छात्रों ने उपस्तिथि दर्ज कराई। इस कार्यक्रम से पूरा खण्डवा शहर देशभक्ति के रंग में रंग गया है। अधिवेशन स्थल पर अभाविप के ध्वजा रोहण के साथ सुबह अधिवेशन का शुभारंभ हुआ। यह ध्वजारोहण प्रान्त मंत्री व अध्यक्ष के हाथों से हुआ।
अधिवेशन के उद्धाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में ऐसे व्यक्तित्व मौजूद रहे जिन्हें आज पूरा देश जनता है आनंद सर के नाम से प्रसिद्ध पटना से आये सुपर 30 के आनंद कुमार जिन्होंने अपने संघर्ष व परिश्रम से शिक्षण क्षेत्र में इतिहास रचा , श्री आनंद कुमार के साथ संगठन के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री प्रफुल अकांत भी उपस्तिथ रहे , जैसे ही दोनों व्यक्तित्वों का प्रवेश सभाग्रह में हुआ सम्पूर्ण सभाग्रह भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा , छात्रों को इन दोनों व्यक्तित्वों ने मार्गदर्शन किया जिससे सभी छात्र प्रेरणापूर्ण व नई ऊर्जा से पूर्ण होकर सभागार से बाहर निकले।
आनंद कुमार ने भारत माता की जय के साथ शुरू किया अपना वक्तत्व , इस मंच से छात्रों को सम्बोधित करना आनंद कुमार ने एक गर्व समझा , मंच से माखनलाल चतुर्वेदी जी जैसे महापुरुषो को याद करते हुए उनकी भूमि खण्डवा से छात्रों को एक नई प्रेरणा से परिपूर्ण कर दिया , दिनों दिन उची होती देश मे शिक्षा की उड़ान से छात्रों को अवगत कराते हुए भारत के छात्रों को विश्वगुरु भारत का शिल्पकार बताया । आनंद कुमार ने सम्बोधित करते हुए कहा कि यह उपस्तिथ छात्र मेरे मित्र है मैं बिना भाषण तैयारी के आया न ही मुझे भाषण देना आता है , मैं भाषण नही मेरे छोटे भाई बहनों से दिल की बातें करने आया हु , उन्होंने अपना एक अनुभव साझा किया जब उन्होंने अपने संघर्ष के समय मे एक मेले से स्वामी विवेकानंद जी किताब एक रुपये में खरीदी , ओर उसकी बातों से प्रेरित होकर लक्ष्य की ओर अग्रसर हुए । आनंद कुमार ने कहा कि अगर पूर्ण लग्न व परिश्रम मन मनस्तिष्क मे हो तो हर लक्ष्य आपकी उड़ान से छोटा ही होगा । अपने स्कूली दिनों के अनेको अनुभव छात्रों के साथ साझा करते हुए उन्होने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी की उस किताब ने उनका पूरा जीवन बदल दिया जिसमें लिखा था कि मनुष्य कुछ भी कर सकता है जो वो सोच सकता है , उसके बाद आनंद कुमार ने कभी पलट कर नह देखा किताबो में ऐसे खोये की मैथमेटिक्स को ही अपनी जि़ंदगी बना ली , फिर महाविद्यालय के जीवन काल मे विद्यार्थी परिषद के देवी वर्मा जी से उनकी मुलाकात ओर विद्यार्थी परिषद के संस्कार ग्रहण करने का उनका सालो का कालखण्ड उन्होंने सभी के साथ साझा किया , आनंद कुमार ने सभी को बताया कि मैथमेटिक्स ने उन्हें कुछ सिखाया पर विद्यार्थी परिषद ने उन्हें समाज को कैसे सीखना है यह सिखाया , क्योंकि इनका कहना था अगर आप व्यक्तिगत विकास कर पाएंगे तब ही आप राष्ट्र का विकास कर पायंगे ,
अंत मे आनंद कुमार ने सभी छात्रों का आभार किया जो आज इतनी बड़ी संख्या में सभी राष्ट्र के लिए एक स्थान पर मौजूद है यह एक गौरव है और यह आनंद कुमार का भी एक सपना था । उनका कहना था कि सपना बड़ा देखो जितना बड़ा आपका सपना होगा उतनी बड़ी आपकी उड़ान होगी , बस प्रबल प्यास होना आवश्यक है लक्ष्य प्राप्ति के लिए जीवन के हर कदम का लक्ष्य सिर्फ यही एक लक्ष्य होना चाहिए । अगर समाज मे परिवर्तन लाना है तो स्वयम में सकारात्मक परिवर्तन के साथ साथ एक अटल निश्चय होना चाहिए ।
आनंद कुमार के बाद अभाविप के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल अकांत ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत माता की जय हमारे लिए नारा नही एक लक्ष्य है हम सब भारत माता की जय के लिए जीने वाले लोग है , जिस लक्ष्य को भारत के युवा देखते है उस विश्वगुरु के पटल की ओर भारत पूरी तीव्रता से आगे बढ़ रहा है और वो भी भारत अपनी स्वयम की पहचान के साथ ही आगे बढ़ रहा है , इतने वर्षो के आक्रांताओ काल के बाद भी भारत आज विश्व के सामने सशक्त होकर खड़ा है , ओर इसके लिए भारत की शिक्षा पद्धति व शिक्षण व्यवस्था ही मुख्य भूमिका में रही है , जहा एक ओर हमारे देश को एक समय मे पिछड़ा कह कर अलग कर दिया जाता था , हमारी संस्क्रति , परम्परा व इतिहास को तोडऩे के अथक प्रयास करे गए , हमारी भाषा , हमारी संस्कृति को हमसे दूर करने के अथक प्रयास किये गए परन्तु आज भी हम हमारे संस्क्रति , परम्परा व इतिहास के साथ अपने पैरों पर खड़े है यही अटल अमर भारत है , ओर इसे करीब से देखना हो तो उज्जैन नगरी अवन्तिका में होने वाली हज़ारो सालो की परंपरा हमारा सिंहस्त महाकुम्भ ही एक बहुत बड़ा उदाहरण है । हमे आपस में लड़ाते लड़ाते लोगो ने हमे हास्य का पात्र बनाने के अथक प्रयास करे , जो आज भी कही न कही देश मे जीवित है , हमारी लड़ाई सर्वप्रथम इसी कुरीति की गाथा से है , हमे वापस भारत को एक भारत श्रेष्ठ भारत मे बदलना होगा , हमारे शूरवीरो व महान वीर क्रांतिकारियों की हत्याएं करके हमारे जज़्बे को तोडऩे के प्रयास किये गए , हमारे देश की आज़ादी के लिए 1700 में ही जनजातीय समुदाय ने अलख छेड दी थी , जो 1857 से होते हुए 1947 के दशकों तक संघर्षशील रही , जिसमे इन विदेशी आक्रांताओ ने हमे तोडऩे के पुरज़ोर प्रयास करे पर हमेशा असफल रहे , भारत पहले भी विश्वगुरु था और फिरसे एक नई वैश्विक शक्ति बनेगा , अपने ज्ञान , परिश्रम और विज्ञान के मार्ग से यह स्वप्न जल्द ही हम सभी अपनी आंखों से देखेंगे । आज पूरी दुनिया हमारी ओर नजऱे टिकाये बैठी हुई है , जो कभी हमारे योग , विज्ञान , ज्ञान पर हास्य किया करते थे आज वही हमारे समक्ष दण्डवत है , ओर यह आने वाले विजय पटल का पूर्णाभास ही है । आज हम हमारे विदेशी आतिथयो को ताजमहल नही भगवद गीता देते है , हमारी पहचान यही गीता है , ओर यही एक संकेत काफी है कि भारत तीव्रता से बदल रहा है ।
समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्य भारत के 52 वें प्रांतीय अधिवेशन में पधारे आनंद कुमार ने जहां अधिवेशन में भाग लेकर युवाओं को संस्कृति का पाठ पढ़ाया वहीं देश के महान गायक कलाकार किशोरदा के पुश्तैनी मकान पर भी पहुंचकर मकान को देखा और किशोर दा की समाधि व स्मारक पर पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस उटघाटन कार्यक्रम में स्वागत समिति के अध्यक्ष बलिराम गोलानी, सचिव महेंद्र शुक्ल प्रदेश अध्यक्ष योगेश रघुवंशी व प्रदेश के मंत्री नीलेश सोलंकी, व प्रान्त सहमंत्री कु शालिनी वर्मा व संदीपसिंह चौहान उपस्थित रहे। किशोर दा की समाधि पर आनंद कुमार के साथ विधायक राम दांगोरे, महेन्द्र शुक्ला, आशीष चटकेले, अश्विनी साहू, सुनील जैन उपस्थित थे।
छात्र शक्ति ही भारत को विश्वगुरु बनाने वाली है, मेहनत विश्व का सबसे बड़ा हथियार है, जिससे हर युद्ध पर विजय पाई जा सकती है - आनंद कुमार