खंडवा- प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी जिला मुख्यालय खंडवा में निवासरत श्री नामदेव रोहिला टांक क्षत्रिय दर्जी समाज द्वारा श्री नामदेव महाराज के जन्मोत्सव पर विशाल शोभायात्रा निकाली गई। नामदेव महाराज महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत है। संत नामदेवका जन्म कार्तिक शु. एकादशी संवत 1192 में महाराष्ट्रके सुप्रसिद्ध तीर्थस्थल पंढरपुरमें एक सूचिक (दर्जी) परिवार में हुआ था। उनके पिताका नाम दामाशेटी और माता का नाम गोणाई देवी था । उनका परिवार भगवान विठ्ठल का परम भक्त था। जब नामदेव 5 वर्ष के थे तो, एक दिन दामाशेटी गांव गए थे इसलिए उनकी मांने नामा को भगवान को भोग में चढ़ाने के लिए दूध दिया और कहा कि वे इसे विठोबा को चढा दें। नामदेव सीधे मंदिर में गए और मूर्ति के आगे दूध रखकर कहा कि, ''लो इसे पी लो। मंदिर में उपस्थित लोगों ने कहा- यह मूर्ति है, पिएगी कैसे? परंतु बालक नामदेव नहीं जानते थे कि, विठ्ठल की मूर्ति दूध नहीं पीती, उसे तो भावनात्मक भोग लगवाया जाता है। बालहट समझकर सब अपने-अपने घर चले गए। मंदिर में कोई नहीं था। नामदेव निरंतर रोए जा रहे थे और कह रहे थे- 'विठोबा यह दूध पी लो नहीं तो मैं यहीं, इसी मंदिरमें रो-रो कर प्राण दे दूंगा। बालक का भोला भाव देखकर विठोबा पिघल गए। वे जीवित व्यक्ति के रूप में प्रकट हुए और स्वयं दूध पीकर नामदेव को भी पिलाया। तबसे नामदेव को विठ्ठल नाम की धुन लग गई। दिन-रात विठ्ठल, विठ्ठल की रट लगाए रहते थे। धीरे-धीरे स्थिति यह हो गई कि नामदेव की प्रत्येक श्वास विठोबा के नाम से चलने लगी। आगे चलकर नामदेव का विवाह राजाबाईके साथ हुआ। उनको पांच संतानें हुईं। नामदेवजी विठ्ठल भगवानके बहुत प्रिय भक्त थे। उनका सारा दिन विठ्ठल भगवानके दर्शन, भजन कीर्तन में ही व्यतित होता था। सांसारिक कार्यों में उनका मन नहीं लगता था। परिवार की ओर नामदेवजी लेश मात्र भी ध्यान नहीं दे पाते थे। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि शुक्रवार को धार्मिक उल्लास के साथ श्री नामदेव रोहिला टांक क्षत्रिय समाज द्वारा शहर के प्रमुख मार्गो से संत शिरोमणि नामदेव जी महाराज की 749 वीं जयंती बड़ी ही धूमधाम से मनाई गई। जिसमें पहली पंक्ति में दो बालिकाएं शिवाजी के परिधान में घोड़े पर सवार थी। नव युवक नामदेव का बैनर एवं धर्मध्वजा के साथ लोग चल रहे थे। जिसमें युवा मण्डल के सभी सदस्य एवं महिलाएं बैंड बाजों की धुन पर थिरक रहे थे। फूलों व गुब्बारों से सजे धजे वाहन में विराजमान श्री संत शिरोमणि नामदेव महाराज की प्रतिमा सभी दर्शको का मन मोह रही थी।
शोभायात्रा नगर के सभी प्रमुख मार्गों से होकर विट्ठल मंदिर पहुंची जहां सभी समाजजनों भगवान विट्ठल के दर्शन किए एवं महिलाओं द्वारा मंदिर के सामने गरबों की प्रस्तुति दी गई। बजरंग चौक पर क्षेत्रीय पार्षद सुनील जैन, पंडित नवीन शर्मा, रविभूषण जैन, शरद माहेश्वरी द्वारा पुष्पवर्षा कर संत नामदेव जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर समाजजनों को शुभकामना दी।
जगह-जगह पर शोभायात्रा का स्वागत किया गया। तत्पश्चात शोभायात्रा नामदेव धर्मशाला में पहुंची, जहाँ संत नामदेव जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया। महाआरती कर श्री नामदेव जी को भोग लगाकर प्रसाद वितरण कर समाज का सामूहिक भण्डारा हुआ। इसमें बड़ी संख्या में समाज के महिला- पुरुष और बच्चे शामिल हुए।