खंडवा - आधुनिक जीवन शैली के कारण हर व्यक्ति के जीवन में तनाव है। ऐसे तनाव प्रबंधन की कला सीखकर आनंद में बदला जा सकता है। इसलिए प्रत्येक कर्मचारी को यह कला अल्पविराम के माध्यम से सिखाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति कि सफलता के पीछे की कहानी में कई लोगों की मदद होती है जिसके दम पर व्यक्ति आगे बढ़ता है। जीवन में मदद करने वालों की लिस्ट बहुत लंबी होती है जबकि हमने जिनकी मदद की हैं उनकी लिस्ट बहुत छोटी होती है। वहीं हमें कष्ट देने वालों की लिस्ट भी लंबी होती है जबकि उनके कष्ट के कारण ही कई बार सफलता हासिल करते है इसलिए लोगों की दिल खोलकर मदद करना चाहिए।
यह बात राज्य आनंद संस्थान अध्यात्म विभाग द्वारा जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी कार्यालय में आयोजित अल्पविराम कार्यक्रम में सीएमएचओ डा. डीएस चौहान ने अपने सम्बोधन में कही। जिला मिडिया अधिकारी वीएस मंडलोई ने कहा कि एक व्यक्ति द्वारा कहा गया था कि तुम कभी एमए पास नहीं कर पाओगे लेकिन उन्होंने उस व्यक्ति के चक्कर में एमए टॉप कर लिया। इसलिए कष्ट पहुंचाने वाले भी कभी कभी बड़े मददगार बन जाते है। उन्होंने कहा कि 14 साल में आज अपनी सफलता की स्टोरी सुनाकर उन्हें अपार ख़ुशी और आनंद मिला है। कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आनंद भीतर से महसूस किया जा सकता है। लोगों की मदद करें और बातों की गठान न बांधे वर्ना दु:ख का कारण बनेगा। मास्टर ट्रेनर गणेश कानड़े ने शांत समय देकर अल्पविराम में 4 प्रश्न दिए। इसके बाद आनंदम सहयोगी शिल्पी राय ने बताया कि उनकी माँ के शांत हो जाने के बाद सौतेली माँ द्वारा बहुत कष्ट दिया गया जिसे उन्होंने अब जाकर माफ़ किया है। सुनील यादव ने अपनी स्टोरी शेयर करते हुए बताया कि एक समय वे परीक्षा देने जा रहे थे तभी रास्ते में साईकिल की चेन टूट गई और परीक्षा में 10 मिनट बचे थे तब एक टांगें वाले व्यक्ति ने उन्हें परीक्षा केंद्र तक लिफ्ट देकर छोड़ा।
इसके बाद अनीता शर्मा ने बताया कि जब वे एमवाय अस्पताल में नर्स थी तो वहां पैर काटने से दुखी एक दादा को उन्होंने बैशाखी लेकर दी थी और उन्हें एक और ऐसे ही व्यक्ति से मिलवाया था। इससे उनका दु:ख कुछ कम हुआ और वे चलने फिरने लगे। राहुल जायसवाल ने अपनी कहानी शेयर करते हुए कहा कि जब होस्टल में पढ़ते थे और जेब खर्च के पैसे नहीं होते थे तब एक दोस्त उन्हें स्वादिष्ट भोजन खिलाया करता था तो उन्हें बहुत आनंद मिलता था। वीएस मंडलोई ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी बड़ी बहन ने उन्हें खूब लाड़ प्यार किया और पढ़ाया। दोनों ने खूब मजदूरी भी की, आज वे उनके कारण एक आफिसर बने है। इसी प्रकार विक्रम श्रीवाल ने आठवीं कक्षा में पिता के न रहने पर 4 माह स्कूल नहीं जाने और पढ़ाई छोड़ देने पर स्कूल शिक्षक द्वारा फ़ीस भरने और घर आकर रोज स्कूल ले जाने की बात बताई। वह आज उनके कारण नौकरी में है। विनय जानबक्स ने बताया कि एक अज्ञात लड़की को रोते देख मदद करना उन्हें महगा पड़ जाता लेकिन वे इसे सुऱक्षित घर पंहुचा सके। इससे आनंद मिला। गोपालदास गंगराड़े ने भी एक असहाय बच्चे की मदद करने की बात कही। इन सभी ने नि:स्वार्थ भाव से मदद करने वालों को धन्यवाद देने का निर्णय लिया। साथ ही कष्ट देने वालों को माफ़ करने का संकल्प लिया।
आनंदम सहयोगी नारायण फरकले ने फ्रीडम ग्लास के माध्यम से अपने भीतर झांकने की कला बताई। उन्हें दूर करने के तरीके भी बताये। महेंद्र ताडग़े ने बताया कि उन्हें एसएससी प्रतियोगी परीक्षा में लेट होने पर एक व्यक्ति ने अपने वाहन से समय पर पहुंचाकर उस परीक्षा में सफलता मिली, वरना उस परीक्षा में बैठ ही नहीं पाते। आशीष गीते, अजीज खान, कविता बर्वे, राजीव मालवीय, ज्योति राठौर, दीपक भदोरिया, आरसी पंचोरे, श्वेता सिंग, राघवेंद्र दुबे, अशोक शुक्ला सहित विभाग के 44 अधिकारी कर्मचारी को डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर केबी मंसारे ने राज्य आनंद संस्थान की जानकारी दी। आभार नर्सिंग ट्रेनिंग प्रभारी अनीता शुक्ला ने माना।