खंडवा- नर्मदा घाटी के जिले के ओम्कारेश्वर बांध में सोमवार से बांध के तात्कालिक स्तर 193 मीटर से ऊपर पानी भरना प्रारम्भ कर दिया गया है. सैकड़ों प्रभावितों के बिना पुनर्वास डूब लाने की करवाई पूर्णतः असंवैधानिक, गैर क़ानूनी एवं अमानवीय है.। अनेक गाँव, घर, जमीने पानी से घिर गयी हैं. । इसी के विरोध में बांध प्रभावितों ने निर्णय लिया है कि यदि पानी का स्तर वापस पूर्व के जल स्तर तक नहीं लाया गया तो इस डूब के खिलाफ 25 अक्तूबर(शुक्रवार) से डूब क्षेत्र के गाँव कामनखेड़ा में प्रभावित जल सत्याग्रह करेंगे. ।
नर्मदा बचाओ आन्दोलन के काय्रकर्ता आलोक अग्राल ने कहा कि आंदोलन मांग करता है कि बांध में जल स्तर को वापस पूर्व के स्तर पर लाया जाये और विस्थापितों का सम्पूर्ण पुनर्वास होने के बाद ही बांध में पानी भरा जाये.
क्या है मामला?
उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर बांध के प्रभावित गत 12 वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं गत 13 मार्च 2019 को माननीय सर्वाेच्च न्यायालय ने ओंकारेश्वर बांध के बांध प्रभावितों के पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य सरकार के पूर्व में घोषित पैकेज पर 15ः वार्षिक ब्याज की बढ़ोतरी की थी साथ ही प्रभावितों द्वारा जमा की गई राशि पर भी 15ः वार्षिक ब्याज देने का निर्णय लिया गया था. इस आदेश के प्रकाश में राज्य शासन द्वारा 31 जुलाई 2019 को विस्थापितों को पुनर्वास अधिकार देने का आदेश दिया था. अभी सैकड़ों प्रभावितों को सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार यह पैकेज दिया जाना बाकी है. अनेक आदिवासी परिवारों की घर-जमीन टापू बनने से इसका अधिग्रहण बाकी है. इसके साथ ही सैकड़ों प्रभावितों को घर प्लॉट एवं अन्य पुनर्वास की सुविधाएं दिया जाना भी बाकी हैं. कानून स्पष्ट है कि सभी प्रभावितों का पुनर्वास डूब आने के 6 माह पहले होना जरूरी है अतः बिना पुनर्वास के पानी भरने की कोई भी कार्रवाई पूर्णतः गैरकानूनी होगी.
कितना पुनर्वास बाकी है?
श्री अगवाल ने कहा कि ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के पुनर्वास में निम्न पुनर्वास अधिकार दिया जाना बाकी है रू-
- सैकड़ों प्रभावितों को सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पैकेज का वितरण.
- पुनर्वास नीति के अनुसार लगभग 500 परिवारों को घर प्लॉट का वितरण.
- देवास जिले के डूब में आ रहे सैकड़ों आदिवासी परिवारों के घर- जमीन के टापू बनने के कारण उसका अधिग्रहण किया जाना.
- लगभग 400 परिवारों को राज्य शासन के आदेश दिनांक 7 जून 2013 के अनुसार प्लॉट के एवज में धनराशि दिया जाना.
- राज्य शासन के आदेश दिनांक 7 जून 2013 के अनुसार जिन परिवारों का सिर्फ घर डूब में गया है उनको धनराशि दिया जाना.
- राज्य शासन के आदेश दिनांक 31 जुलाई 2019 के तहत भूमिहीन को पुनर्वास पैकेज.
- सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 13 मार्च 2019 व् राज्य शासन के आदेश दिनांक 31 जुलाई 2019 के तहत अतिरिक्त पैकेज प्राप्त करने वाले विस्थापितों को मिलने वाली राशी से खरीदी जाने वाली संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टाम्प ड्यूटी शुल्क की छूट.
अनेक विस्थापितों को अन्य पुनर्वास की सुविधाएँ.
क्या है कानूनी प्रावधान?
उन्होने कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय ने सन 2000, 2004, 2005 सन 2011 के अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि कोई भी डूब लाने के 6 माह पूर्व विस्थापितों का सभी दृष्टि से पुनर्वास पूरा होना जरूरी है. माननीय सर्वाेच्च न्यायालय ने यह भी माना है कि विस्थापितों का पुनर्वास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने के अधिकार) के अंतर्गत आता है, अतः ओंकारेश्वर बांध में बिना पुनर्वास पानी भरने की कोई भी कार्रवाई पूर्णतः असंवैधानिक एवं गैर कानूनी होगी.
गाँव पानी से घिरे ; 25 अक्तूबर से जल सत्याग्रह
जस्तर बढने के साथ ओम्कारेश्वर बांध पानी भरना प्रारम्भ करने से ग्राम घोघलगाँव के एकमात्र रास्ता पानी में डूब गया है. देवास जिले के ग्राम कोथमीर, धाराजी, नयापुरा के अनेक आदिवासी परिवार और उनकी जमीने पानी से घिर गये है. ।
श्री अग्रवाल ने बताया कि पानी लगातार बढ़ाया जा रहा है. ओम्कारेश्वर बांध प्रभावितों ने निर्णय लिया है कि यदि 25 अक्टूबर की सुबह तक बांध में जल स्तर वापस पूर्व के स्तर तक नहीं लाया जाता है, तो डूब में आ रहे ग्राम कामनखेड़ा में 25 अक्तूबर से जल सत्याग्रह किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि ओम्कारेश्वर बांध प्रभावितों की गत 12 साल की लड़ाई में 37 दिन के उपवास के साथ डूब ग्राम घोघलगाँव में सन 2012 में 17 दिन और सन 2015 में 32 दिन का जल सत्याग्रह किया गया था. विस्थापितों का दृढ निश्चय है कि वे अपने अधिकार लेकर रहेंगे.