ओम्कारेश्वर बांध में बिना पुनर्वास पानी भरने की घोषणा, यदि पानी भरा गया तो फिर होगा “जल सत्याग्रह”


खण्डवा- गत 15 अक्तूबर को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा ओम्कारेश्वर बांध में 196.6 मीटर तक पानी भरने का आदेश दे दिया गया है. आज डूब क्षेत्र के गावों में तहसीलदार आदि ने जानकारी दी कि 21 अक्टूबर से पानी भरने की करवाई की जायेगी. प्रभावितों के पुनर्वास बिना पानी भरने के असंवैधानिक व् गैर क़ानूनी निर्णय की नर्मदा बचाओ आन्दोलन कड़े शब्दों में निंदा करता है  और चेतावनी देता है कि यदि पानी भरने की कार्रवाई की गई तो एक बार फिर से कड़ा संघर्ष प्रारंभ किया जाएगा और प्रभावित अपने अधिकारों के लिए जल सत्याग्रह करने के लिए मजबूर होंगे.


क्या है मामला?


उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर बांध के प्रभावित गत 12 वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं गत 13 मार्च 2019 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ओंकारेश्वर बांध के बांध प्रभावितों के पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य सरकार के पूर्व में घोषित पैकेज पर 15% वार्षिक ब्याज की बढ़ोतरी की थी साथ ही प्रभावितों द्वारा जमा की गई राशि पर भी 15% वार्षिक ब्याज देने का निर्णय लिया गया था. इस आदेश के प्रकाश में राज्य शासन द्वारा 31 जुलाई 2019 को विस्थापितों को पुनर्वास अधिकार देने का आदेश दिया था. अभी सैकड़ों प्रभावितों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार यह पैकेज दिया जाना बाकी है. इसके साथ ही सैकड़ों प्रभावितों को घर प्लॉट एवं अन्य पुनर्वास की सुविधाएं दिया जाना भी बाकी हैं. कानून स्पष्ट है कि सभी प्रभावितों का पुनर्वास डूब आने के 6 माह पहले होना जरूरी है अतः बिना पुनर्वास के पानी भरने की कोई भी कार्रवाई पूर्णतः गैरकानूनी होगी.


कितना पुनर्वास बाकी है?



  • ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के पुनर्वास में निम्न पुनर्वास अधिकार दिया जाना बाकी है :-

  • सैकड़ों प्रभावितों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पैकेज का वितरण.

  • लगभग 500 परिवारों को घर प्लॉट का वितरण.

  • लगभग 400 परिवारों को राज्य शासन के आदेश दिनांक 7 जून 2013 के अनुसार प्लॉट के एवज में धनराशि दिया जाना.

  • राज्य शासन के आदेश दिनांक 7 जून 2013 के अनुसार जिन परिवारों का सिर्फ घर डूब में गया है उनको धनराशि दिया जाना.

  • राज्य शासन के आदेश दिनांक 31 जुलाई 2019 के तहत भूमिहीन को पुनर्वास पैकेज.

  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 13 मार्च 2019 व् राज्य शासन के आदेश दिनांक 31 जुलाई 2019 के तहत अतिरिक्त पैकेज प्राप्त करने वाले विस्थापितों को मिलने वाली राशी से खरीदी जाने वाली संपत्ति की रजिस्ट्री पर स्टाम्प ड्यूटी शुल्क की छूट.

  • अनेक विस्थापितों को अन्य पुनर्वास की सुविधाएँ.



क्या है कानूनी प्रावधान?
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सन 2000, 2004, 2005 सन 2011 के अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि कोई भी डूब लाने के 6 माह पूर्व विस्थापितों का सभी दृष्टि से पुनर्वास पूरा होना जरूरी है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना है कि विस्थापितों का पुनर्वास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने के अधिकार) के अंतर्गत आता है, अतः ओंकारेश्वर बांध में बिना पुनर्वास पानी भरने की कोई भी कार्रवाई पूर्णतः असंवैधानिक एवं गैर कानूनी होगी.


फिर होगा जल सत्याग्रह:
ओंकारेश्वर बांध प्रभावित नर्मदा बचाओ आन्दोलन के तहत गत 12 वर्षों से कड़ा संघर्ष कर रहे हैं खंडवा- भोपाल में 37 दिन के अनशन से लेकर सन 2012 में 17 दिन और सन 2015 में 32 दिन का जल सत्याग्रह किया है. नर्मदा आन्दोलन चेतावनी देता है कि बिना पुनर्वास बांध में पानी भरने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध किया जाएगा. यदि बांध में पानी भरा जाता है तो डूब क्षेत्र में फिर से एक बार जल सत्याग्रह प्रारंभ किया जाएगा और अपने संपूर्ण अधिकार मिलने तक लोग संघर्ष जारी रखेंगे. आंदोलन मांग करता है कि राज्य सरकार तत्काल विस्थापितों के सभी पुनर्वास के अधिकारों को प्रदान करें और विस्थापितों के संपूर्ण पुनर्वास के बाद ही बांध में पानी भरने की कोई कार्रवाई की जाए.