महू- 02 अक्तूबर गांधी जयंती के दिन डॉ बी. आर. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू के शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों के द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदेशों और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए डांडी मार्च/ मौन रैली का आयोजन किया गया। डांडी मार्च विश्वविद्यालय से प्रारंभ होते हुए शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजर कर विश्वविद्यालय के बौद्ध बिहार स्थान समाप्त हुई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति ड़ॉ आशा शुक्ला समेत विश्वविद्यालय के शिक्षकों, समस्त कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने भारत भवन और प्रशासन अकादमी भोपाल से माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं माननीय जीतू पटवारी जी द्वारा राष्ट्रपिता के जीवन और उनके दर्शन पर दिए गये व्याख्यान का सीधा प्रसारण देखा। राष्ट्रपिता की जयंती के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ आशा शुक्ला के निर्देशन में गांधी शोध अध्ययन केंद्र पीठ की स्थापना की गई। इस शोध पीठ के माध्यम से महात्मा गांधी के विचार, दर्शन और उनके कार्यों पर शोध किया जायेगा एवं उनके विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए संगोष्ठी, व्याख्यान श्रेणी जैसे कार्य किए जायेंगे। इस शोध पीठ के सुचारू रूप से संचालन के लिए गुजरात विद्या पीठ अहमदाबाद से सेवानिवृत प्रो. ड़ा पुष्पा मोटियानी को दायित्व दिया गया है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के बौद्ध-बिहार सभागार में मुख्य अतिथि विधायक सुश्री उषा ठाकुर, कुलपति डॉ आशा शुक्ला की अध्यक्षता में गांधी साहित्य का सामूहिक वाचन किया गया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि महू विधायक सुश्री उषा ठाकुर ने गांधी दर्शन को जीवन का मूल स्रोत बताते हुए कहा कि हमारे वेदों में कहीं भी जाति के भेद का उल्लेख नहीं है, भारत में जाति के नाम पर बटवारा अंग्रेजों के शासन काल की देन हैं। उन्होंने कहा कि यदि वेदों में वर्णित ज्ञान को ही जीवन में उतार कर मानव, महामानव बन सकता है। उन्होंने कहा कि गांधी को सेवा का भाव हमारी भारतीय संस्कृति के मूल स्रोतों से ही प्राप्त हुआ है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि जब हम महात्मा गांधी के आदर्शों को जब अपने जीवन में अक्षरशः उतार लेंगे, उनका पालन करेंगे तभी वह महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सुश्री ठाकुर ने कहा कि अगर हम गांधी कि चाहते हैं तो उनकी प्रार्थना को अपने जीवन में उतारना होगा।
कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में कुलपति डॉ आशा शुक्ला ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के त्याग का वर्णन करते हुए कहा कि एक धोती के छोटे से टुकड़े में जीवन काट देने का त्याग सिर्फ बापू के पास ही था। उनके त्याग में इतना साहस था कि उनसे प्रेरित होकर ना जाने कितने परिवारों कि महिलाएं तमाम सामाजिक बंदिशों के बाद भी उनके सत्याग्रह में भागीदार बन गई। इस अवसर पर डॉ शुक्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती पर उनके सहज और सादे जीवन के उदाहरण को लोगों को अपने जीवन उतारने का संदेश दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर विश्वविद्यालय में कुल चार विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।