जल सत्याग्रह का तीसरा दिन- जल सत्याग्रहियों ने लिखा मुख्यमंत्री व नर्मदा मंत्री को पत्र, पानी मे मनी दीपावली


खण्डवा-ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों द्वारा 25 अक्टूबर से प्रारंभ किए गए जल सत्याग्रह का आज तीसरा दिन है। सभी जल सत्याग्रही पूरी ताकत से पानी मे सत्याग्रह कर रहे हैं। आज दीपावली भी पानी मे सत्याग्रह स्थल पर मनाई जा रही है।
आज सभी जल सत्याग्रहियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और नर्मदा मंत्री श्री सुरेंद्र सिंह बघेल को पत्र लिखकर ओंकारेश्वर बांध डूब क्षेत्र में बन रही भयावह स्थिति से अवगत कराया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आश्चर्य का विषय है कि जहां एक ओर लगभग दो हजार परिवारों का पुनर्वास होना बाकी है वहां दूसरी ओर सभी नियम, कायदे, कानूनों का उल्लंघन करते हुए बांध में लगातार पानी भरा जा रहा है। इस पानी भरने से अनेक गांव कट गये है, अनेक घरों में पानी भर गया है, और कई घर खेत टापू बन गए हैं।



उन्होंने ग्राम घोघलगांव की गंभीर स्थिति की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि गत 4 दिनों  दिनों से इस गांव की बिजली काट दी गई है, पीने के पानी की व्यवस्था बंद हो चुकी है, रास्ते पर 4 फीट पानी होने से रास्ता बंद हो चुका है और अब किसी अप्रिय स्थिति में या पीने का पानी न होने से किसी की जान भी जा सकती है। ऐसी स्थिति में ऐसा प्रतीत होता है की पुनर्वास मांगने की सजा के रूप में इस गांव की हत्या की जा रही है।
जल सत्याग्रहियों ने अपने पत्र में लगभग 2000 विस्थापित परिवारों के कौन कौन से पुनर्वास के अधिकार बाकी है उसका पूरा विवरण दिया है। उन्होंने अपने पत्र में सरकार से पूछा है कि क्या कारण है कि जो सरकार सरदार सरोवर में बिना पुनर्वास पानी भरने पर सार्वजनिक रूप से गुजरात और केंद्र सरकार की आलोचना कर रही थी, वहीं सरकार आज जिस बांध के क्षेत्र में उनका खुद का नियंत्रण है वहां बिना पुनर्वास पानी भर रही है।



पत्र में यह भी बताया गया है कि जबकि वर्तमान में मध्यप्रदेश में अतिरिक्त बिजली उपलब्ध है, अत्याधिक पानी बरसने के कारण सिंचाई की कोई जरूरत नहीं है और ओंकारेश्वर बांध को इंदिरा सागर बांध से कभी भी भरा जा सकता है तब कोई कारण नहीं है कि आज लोगों के बिना पुनर्वास ओम्कारेश्वर बांध में पानी भरा जाए।



इस पत्र में मुख्यमंत्री एवं नर्मदा मंत्री से आग्रह किया गया है कि बांध का पानी घटाकर वापस 193 मीटर किया जाए ताकि गांव में रह रहे लोग भयावह दिक्कतों से मुक्त हो सके और एक संयुक्त प्रक्रिया चलाकर पुनर्वास पूरा किया जाए और उसके बाद ही बांध में पानी भरा जाए। सत्याग्रहियों ने अपना संकल्प दोहराया है कि भले हमारे शरीर गल जाए हम अपने अधिकार लिए बिना नहीं हटेंगे।