डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय की पुस्तक यात्रा में हुआ साहित्यकार रज़ा खांडवी की पुस्तक का विमोचन
तबियत ख़राब होने से घर पहुंच कर किया रज़ा खांडवी का सम्मान
खंडवा- आधुनिक संचार माध्यमों की तमाम चुनौतियों के बीच जनता को किताबों की दुनिया में लौटाने और पुस्तक संस्कृति से जोड़ने के लिए डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय द्वारा पुस्तक यात्रा का आयोजन किया । ज्ञान-विज्ञान तथा अन्य उपयोगी साहित्यिक-किताबों, पोस्टरों आदि से सुसज्जित एक वाहन पर जो पुस्तक प्रेमियों के साथ रैली की शक्ल किया गया जो गाँव-कस्बों से गुजरता हुआ लोगों को पुस्तकों से जुड़ने का संदेश पहुँचता रहा । इस पुस्तक यात्रा के दौरान हैं लोगों को लोक संगीत सूफी बैंड के माध्यम से भी हमारे देश की संस्कर्ति से जोड़ा गया। तो वही कई पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। पुस्तक विमोचन में खंडवा के प्रसिद्व साहित्यकार और शायर डॉ सैयद सफ़दर रज़ा खांडवी द्वारा लिखी गई उर्दू की किताब का हिंदी अनुवाद कर विमोचन किया गया। विमोचन के अवसर पर पुस्तक के लेखक डॉ सफ़दर रज़ा खांडवी स्वस्थ ख़राब होने से डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार रवि चतुर्वेदी ,वनमाली सृजनपीठ के सदस्य विनय उपाध्याय और डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार लुकमान मसूद खांडवी के घर जा कर उसने अपनी पुस्तक "उर्दू के विकास में निमाड़ की भूमिका" का विमोचन कर उन्हें एक सेट भेट किया।
आप को बतादें की हालही में साहित्यकार और शायर सैयद सफ़दर रज़ा खांडवी का जन्मदिन भी गुजरा हैं। उनका स्वस्थ लम्बे समय से ठीक नहीं हैं। रज़ा खांडवी ने उर्दू के साथ ही हिंदी में भी साहित्य लिखा हैं।साहित्यकार रज़ा खांडवी ने उर्दू में निमाड़ के योगदान पर पीएचडी भी की हैं। वे लंबे समय तक शासकीय सेवा में रहे और खंडवा से सहायक निर्वाचन अधिकारी के पद पर रहते हुए वीआरएस ले लिया। उसके बाद उन्होंने विभिन्न कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाया। रज़ा खांडवी को शायरी विरासत में मिली उनके पिता सैयद हैदर अली "इज़हार " का नाम भी बड़े शायरों में गिना जाता हैं। अपनी उर्दू में लिखी पुस्तक के हिंदी अनुवाद के विमोचन पर उन्होंने डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय चांसलर संतोष चौबे को धन्यवाद देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय चांसलर संतोष चौबे से उनकी मुलाकात एक कर्यक्रम के दौरान हुई थी जब मैने उन्हें उर्दू की एक पुस्तक भेट स्वरुप दी थी तब श्री चौबे कहा था की इस किताब का हिंदी अनुवाद करा कर इसे अधिक लोगों तक पहुचाएंगे ताकि हिंदी जानने वाले लोग भी अपने निमाड़ के योगदान को जान सकें। समय बीतता गया और जब मुझे अपनी पुस्तक के हिंदी रूपांतरण के विमोचन की जानकारी मिली तब में अस्पताल में बेहद गंभीर अवस्था में था। ऐसी अवस्था में मेरे लिए ये पल मुझ में एकबार फिर जान फूंक गए। मुझे बहुत ख़ुशी हैं की डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय ने मेरी कृति को ना सिर्फ सराहा बल्कि उसे अनुवाद कर उसे आमजन तक पहुंचाया। रज़ा खांडवी ने कहा कि श्री चौबे ने शिक्षा,तकनीक,साहित्य,कौशल विकास,बैंकिंग,साक्षरता अभियान ,साक्षरता यात्रा,IT यात्रा,कौशल विकास यात्रा और अब पुस्तक यात्रा निकल कर लोगों के दिलों में जगह बनाई हैं। उन्होंने हमेशा अपने पिता जेपी चौबे की तरह साहित्य की सच्ची सेवा की हैं।